ख्वाबों की दौड़

मैं रूठूं तो माना ले, डरूं तो संभाल ले

इतनी सी जरूरत से कई बेहतर था वो

मिलके किसी से इश्क से गिले छूट जाएं

मानो बिन परखे, अनकहा ऐतबार हो पाए

तुझ से अनचाही चाहत थी, इंकार नहीं, 

बस लंबे अरसे तक साथ की बात नहीं

तेरी ख्वाबों की दौड़, मेरी सुकून की तलाश

बस दिमाग की बराबरी में दिल न काफी था

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